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हर मर्ज की दवा : स्वामी रामदेव

Posted by गिरीश पाण्डेय Thursday, August 13 8 comments


हर मर्ज की दवा : स्वामी रामदेव

भारत के सबसे चर्चित लोगों में से एक... स्वामी रामदेव, अन्तर्राष्ट्रीय योग गुरू हैं। गज़ब की ऊर्जा और आत्म-विश्वास लिए, वह एक तेज-तर्रार सन्त हैं। साधारण परिवार में जन्में स्वामी रामदेव, आज विश्व-प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। असल में वह मात्र एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार हैं। ऐसा विचार, जो कभी महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस और चन्द्रशेखर जैसे महापुरूषों ने, स्वतंत्र भारत के लिए देखा था। विचार.. देश को स्वालम्बी, स्वस्थ, मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने का। ताकि हम अपनी महान वैदिक संस्कृति और ज्ञान के बल पर विश्वगुरू बन सके।

स्वामी रामदेव जी का जन्म हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जनपद में सैयद अलीपुर गांव में हुआ था। 25 दिसंबर,1965 को श्रीयुत राम निवास यादव के साधारण परिवार में जन्में, इस बालक का नाम रामकृष्ण रखा गया। आंठवी कक्षा के बाद वह पक्षाघात से ग्रसित हो गये। योगासनों के निरंतर अभ्यास व जड़ी- बूटियों से निर्मित औषधियों के अद्भुत प्रभाव से वह जल्द स्वस्थ्य हो गये।
आगे की पढ़ाई के लिये माता पिता ने उन्हें खानपुर के गुरुकुल में भेज दिया। जहां स्वामी बल्देवाचार्य जी ने रामकृष्ण को शिक्षा दी। उन्होंने संस्कृत में पाणिनी की अष्टाध्यायी सहित वेद व उपनिषद आदि सभी ग्रन्थ मात्र डेढ़ वर्ष के अल्पकाल में कण्ठस्थ कर लिये। युवास्था में ही सन्यासी हो गये और गुरुओं ने दीक्षा के बाद उन्हें नया नाम दिया आचार्य रामदेव ।

रामदेव जी ने सन् 1995 से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिये अथक परिश्रम करना आरम्भ किया। उन्होंने आचार्य करमवीर के साथ मिलकर दिव्य मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना की। उन्होंने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की भी स्थापना की। आज यहां असाध्य रोगों से लड़ने के लिए शोध हो रहे हैं। भारत को पुन: विश्वगुरू स्थापित करने का प्रयास चल रहा है।
स्वामी जी सरल विधियां बताकर योगासन और प्राणायम की ख्याति को बढ़ा रहे हैं। योग के माध्यम से वह निराश लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं। स्वामी जी योग और प्राणायम के अलावा गौरवमयी भारतीय संस्कृति के प्रचारक भी हैं।
भारतीय संस्कृति और गौरव को चोट पहुंचाने वाले ठेकेदारों को हमेशा उन्होंने धूल चटाई है। पेप्सी-कोला, ऐलोपैथी दवाई कंपनियों और वृन्दा करात जैसे कई लोगों के खिलाफ उनका पोल-खोल कार्यक्रम आज भी जारी है। कुतर्कों की नींव पर जनविरोधी कार्यों को सही ठहराने वाले लोग, अब बाबा से डरने लगे हैं। हर विषय पर चर्चा करने से पहले उसके तथ्य और आंकड़ों की पूरी लिस्ट उनके पास होती है।
वह भगतसिंह और राजगुरू की ही तरह क्रांतिकारी हैं और देश की अस्मिता और स्वाभिमान के लिए उतने ही दिवाने। देश के मामले में ....नो इफ नो बट...केवल बाबा का हठ..... हठ भारत को उसका गौरव वापस दिलाने का ... संकल्प इतना मजबूत कि उनके आगे इण्लैंड की रानी को भी झुकना पड़ा।
बाबा के पास हर बीमारी का सरल उपाय है। निरोगी रहना है तो योग करो...इतना ही नहीं, उन्हें तो राष्ट्र को लग रहे, रोगों से भी निपटना है। इस बाबा की झोली में देश की हर समस्या का सीधा-साधा समाधान मौजूद है।
देश को भ्रष्ट्राचार, तस्करी, नकली नोट की बीमारी खा रही है.... इलाज है ना बाबा के पास ....स्वामी जी कहते हैं कि
" देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन रहे कालाधन, भ्रष्टाचार तथा नकली नोटों की बढ़ती तस्करी को रोकने के लिए शीघ्र ही बड़े नोटों की छपाई तुरंत बंद करके उसके स्थान पर छोटे नोटों की छपाई करनी चाहिए। देश में 15.30 प्रतिशत नकली नोटों का धंधा हो रहा है, जिसे रोकना बहुत ही जरूरी हो गया है। भ्रष्टाचार के लिए छोटे नोट देना एक समस्या बन सकता है क्योंकि उनकी संख्या अधिक होगी जिसका लेन-देन करना बहुत ही कठिन होगा। "

नीचे है .... बीबीसी के संपादक बृजेश श्रीवास्तव के साथ स्वामी रामदेव के एक साक्षात्कार के कुछ अंश ....

आप इतने जबरदस्त तरीके से पेट कैसे हिला लेते हैं?
कोई मेरे पास आता है तो मैं उसका पेट ही नहीं दिमाग और पूरा शरीर भी हिला देता हूँ. मेरा काम ही हिलाना है. मेरे पेट हिलाने से बहुत लोग हिलते हैं और बोलने से भी. क्या करूँ मेरी किस्मत ही कुछ ऐसी है. जहाँ भी मैं बैठता हूँ, लोग हिलने लगते हैं. मुझे लगता है कि ये गति बनी रहनी चाहिए. क्योंकि इस गति में शक्ति आएगी और देश भी जागेगा.

बहुत किस्मत वाले बाबा हैं आप?
नहीं, मैं किस्मत को नहीं पुरुषार्थ को मानता हूँ. एक बार जब किसी ने मेरा हाथ देखा तो मुझे बताया कि मेरे हाथ में तो भाग्य रेखा ही नहीं है. मैं राशिफल को भी नहीं मानता. शनि-मंगल सब लोगों का अंधविश्वास है. हर घड़ी, हर मुहूर्त शुभ है. हर दिशा में परमात्मा है. कौन सी दिशा ऐसी है जहाँ शैतान रहता है. धर्म और अध्यात्म को मैं विज्ञान की आँख से देखता हूँ. इसलिए मैं धर्म, संस्कृति और परंपराओं का प्रखर संवाहक होने के साथ-साथ धर्म के नाम पर भ्रम, अज्ञान और पाखंड का आलोचक भी हूँ.

तमाम लोग आपको गुरू मानते हैं, कुछ भगवान मानते हैं, कुछ डॉक्टर मानते हैं. आप अपने क्षेत्र में शीर्ष पर हैं. क्या वाकई आपको अकेलेपन का अहसास होता है?
जिंदगी में कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ. मैं अपने साथ हमेशा भगवान को पाता हूँ. मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि शक्ति के रूप में मानता हूँ. जो भी करता हूँ इस अहसास के साथ कि मेरे भीतर की शक्ति ये सब मुझसे करा रही है. मेरे दोस्त भी मुझसे कहा करते हैं कि तुम रात दिन लगे रहते हो, न खुद सोते हो, न औरों को सोने देते हो. मैं हमेशा विद्रोह की बात करता हूँ, धारा कि विरुद्ध बात करता हूँ. जब मैंने कहा कि नियमित योग और प्राणायाम से कैंसर, हैपेटाइटिस जैसी बीमारियां ठीक हो जाती हैं तो लोग कहते हैं कि मैं बड़बोला हूँ. हालाँकि कभी-कभी मैं भी सोचता था कि देश के लिए बात करने के बावजूद कहीं लोग मुझे अकेला तो नहीं छोड़ देंगे, लेकिन आज मुझे 100 फ़ीसदी यकीन है. मेरे साथ हज़ारों-लाखों लोग हैं और मैं कभी भी खुद को अकेला नहीं पाता.

ये तो ठीक है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री रामदास का कहना है कि बाबा रामदेव योग कराएं- सिखाएं अच्छा है, लेकिन दवाओं के मामले में हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं. ऐसा क्यों कह रहे हैं कि एलोपैथी इलाज़ न कराएं ?
एलोपैथी के बारे में मैं कभी ऐसा नहीं कहता कि दवा मत लो. हमारे स्वास्थ्य मंत्री को ऐतराज इस बात पर था कि बाबा ये न कहें कि योग से कैंसर या एड्स अच्छा हो जाता है. मैने कभी नहीं कहा कि एड्स योग से अच्छा होता है. मैने इतना ज़रूर कहा था कि एड्स रोगियों का सीडीफोर काउंट कम हो जाता है और इसको ही एड्स कहते हैं. योग करने से सीडीफोर काउंट बढ़ता है ये तथ्य है. कैंसर के रोगी अच्छे हुए तो क्या अब मैं ये कह दूँ कि योग करने से कैंसर होता है. कैंसर से पीड़ित लोगों ने भले ही साधना के तौर इसे शुरू किया हो, लेकिन उन्हें फायदा हुआ है और ऐसे लोग एक-दो नहीं, ये तादाद सैकड़ों में हैं. अगर वो ठीक होते हैं तो इसमें किसी को क्या आपत्ति है. जहाँ तक एलोपैथी की बात है आज स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर देश में चार लाख 79 हज़ार 520 करोड़ रुपए का खर्चा है. यानी देश में विकास योजनाओं पर जितना खर्च होता है, उससे कहीं अधिक दवाओं और उपचार पर खर्च होता है. लोग करोड़ों रूपए की दवा तो खा ही रहे हैं, लेकिन योग करेंगे तो ही देश बच पाएगा . विश्व बैंक की रिपोर्ट से साफ है कि भारत में सिर्फ़ 35 फ़ीसदी लोग ही उपचार करा पाते हैं. दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के 71 करोड़ लोग तो बीमार पड़ने पर अपना उपचार ही नहीं करा पाते. यदि हमने योग, आयुर्वेद और उपचार के परंपरागत तरीकों को छोड़ दिया तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा ख़तरा पैदा हो जाएगा. अब मैं योग के साथ आर्थिक चिंतन भी देता हूँ तो इसमें क्या आपत्ति है.

लेकिन लोगों का कहना है कि स्वामी जी स्वयं अमरीका , इंग्लैंड, यूरोप जा सकते हैं और वहाँ हफ़्तों -महीनों रह रहे हैं तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बुराई क्यों करते हैं?
स्वास्थ्य के नाम पर जो भी लोग खिलवाड़ करते हैं मैं उनके ख़िलाफ़ बोलता हूँ. मेरा पहला निशाना बहुराष्ट्रीय कंपनियां थी. जब मैने शराब और तम्बाकू के ख़िलाफ़ बोला तो शराब की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां चलाने वाले हिल गए. इन फैक्ट्रियों को चलाने वाले कुछ सांसदों ने ऐतराज़ जताया और कहा कि बाबा को मर्यादा में रहकर बात करनी चाहिए. विश्व में हर साल 48 लाख लोग तम्बाकू के सेवन से मरते हैं और क़रीब इतने ही लोगों की मौत का कारण शराब होती है. मेरा कहना है कि जब 151 लोगों की हत्या के इल्ज़ाम में सद्दाम हुसैन को फाँसी दी जा सकती है तो फिर 48 लाख लोगों की मौत के ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए. इस तरह जब मैं अपनी बात को आँकड़ों और तर्क के साथ कहता हूँ तो इससे कुछ लोगों के अस्तित्व हिलने लगते हैं. महात्मा गाँधी ने 1928 में कराची अधिवेशन में कहा था कि आजादी के बाद भारत में आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित किया जाएगा, आज हालत ये है कि हमारी परंपरागत उपचार की विधाओं को हाशिए पर रख दिया गया है. मेरी इन खरी-खरी बातों को सुन कर लोगों की सत्ताएं हिलने लगती हैं.

पूरा साक्षात्कार पढ़ने के लिए देखें.......... एक मुलाक़ात: बाबा रामदेव के साथ http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/01/070106_ramdev_ekmulaqat.shtml

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धर्मनाद

Posted by गिरीश पाण्डेय Monday, August 10 0 comments

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जय शिव शंकर

जय शिव शंकर
सृष्टिकर्ता, दुखहर्ता, पालनकर्ता

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परिचय

वैसे तो आठ साल से पत्रकारिता की दुनिया में हैं। अचानक धार्मिक कार्यक्रम बनाने का अवसर मिला। बचपन से ही धर्म के वैज्ञानिक,सामाजिक और व्यवहारिक पहलूओं को समझने का प्रयास कर रहा हूं। धर्मचक्र में धर्म और जीवन से जुड़े सभी बिन्दुओं पर चर्चा करने का प्रयास किया जायेगा। ताकि आपको आद्यात्मिक तृप्ति हो और धर्म से जुड़े सच्चे और झूठे पक्षों को समझने का मौका मिले।