भारत में बनेगा, रावण का भव्य मंदिर
रावण की जिंदगी के सकारात्मक पहलुओं को उजागर करने का का बीड़ा, कौशिकेश्वर ज्योर्तिलिंग रावण मंदिर एवं अनुसंधान समिति ने उठाया है। समिति के अध्यक्ष अनिल कौशिक कहते हैं कि कि रावण की अच्छाइयों को समाज के सामने लाया ही नहीं गया। रावण प्रकांड पंडित और महान शिव भक्त था। वह अलौकिक शक्तियों का स्वामी भी था। उसकी मौत के समय खुद भगवान राम ने लक्ष्मण को उससे शिक्षा लेने के लिए भेजा था।
हस्तिनापुर का इलाका रावण से सम्बन्धित रहा है। गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव बिसरख को रावण का ननिहाल और जन्मस्थान कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां रिषि विश्रवा का आश्रम था। उन्होंने ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था। जिससे उन्हें कुबेर पैदा हुए। दूसरी पत्नी मैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने यहां दूधेश्वरनाथ मंदिर में कठोर तपस्या की थी।
रावण मंदिर समिति के अध्यक्ष अनिल कौशिक ने कहा कि अब रावण के गुणों को लोगों के बीच लाया जाएगा। इस काम के लिए रावण की ससुराल मेरठ को चुना है। मय नामक दानव के नाम पर पहले इस जगह का नाम मयराष्ट्र था। मय की पुत्री मंदोदरी से रावण का विवाह हुआ था। मेरठ जिले की सरधना तहसील में भव्य रावण मंदिर का निर्माण करने के लिए भूमि पूजन किया जा चुका है। मंदिर में नर्मदेश्वर के ज्योतिर्लिंग के साथ रावण की 10 सिर वाली प्रतिमा, मंदोदरी और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
श्री कौशिक ने बताया कि रावण का दूसरा मंदिर उसके जन्मस्थल गौतमबुद्ध नगर के गांव बिसरख मे बनाया जाएगा। यह मंदिर रावण जन्म मंदिर के नाम से जाना जाएगा। तीसरा मंदिर झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में बनाने की योजना है। यहां कैला पर्वत से लाए गए शिवलिंग को देवताओं ने रावण से छल कर स्थापित किया था। कौशिक का कहना है कि वे दशहरे पर रावण दहन के भी विरोधी है। दरअसल रावण का दाह संस्कार हुआ ही नहीं था। ऐसे में एक ब्राह्मण का हर साल दाह संस्कार शास्त्र सम्मत नहीं है।
Gireesh Pandey for www.dharmchakra.com
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